एक बादशाह के दरबार में एक फकीर आया और कहने लगा" सुना है आपके साखावत के किस्से दूर दूर तक मशहुर है" बादशाह ने कहा बिल्कुल ठीक सुना है तुमने। मांगो क्या मांगते हो? फकीर ने हाथ मे पकड़ा कासा आगे बढ़ा दिया, और कहने लगा इसे भर दीजिए!
बादशाह ने गले से कीमती हार उतार कर कासे मे डाल दिया मगर कासा बड़ा था लिहाज़ा बादशाह ने अशर्फीयो से भरी बोरी मंगवाई और कासे मे डाल दी कासा फिर भी लबा लब न भर सका।
फकीर तंज़िया नज़रों से बादशाह को देखने लगा। बादशाह ने फकीर की नज़रों और शर्मिंदगी से बचने ख़ज़ाने का मुँह खोल दिया तमाम दौलत कासे मे उंडल दी मगर कासा फिर भी खाली रहा आखिर बादशाह ने अपना ताज उतार कर फकीर के क़दमों मे रख दिया और पूछा " आखिर ये किस हस्ती का कासा है? "
फकीर मुश्कुराय और बोला:
"ये कोई आम कासा नही "*नरेंद्र दामोदर दास मोदी*" का कासा है!😌
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