Breaking News

Search This Blog

Translate

Thursday, 28 May 2020

एक सहारा तलाश करता हूं Masoom Ahmad Barkati


         गजल

ज़िन्दगी की उदास राहों में
एक सहारा तलाश करता हूं

गमके सागर में दिल की कश्ती है
मैं किनारा तलाश करता हूं 

कोई हमदम न कोई वाली है
दूर मन्जिल रात काली है

जिस से आंखों को नूर मिल जाये
वह सितारा तलाश करता हूं 

क्या कहूं कितने ज़ख्म खाये हैं
मेरी राहों में गम के साये हैं

प्यास बुझ जाये जिस से नज़रों की
वह नज़ारा तलाश करता हूं

कुछ नहीं है जहान फानी है
बस यूंही ज़िन्दगी बितानी है

जिस में इज्ज़त मिले मुझे (मासूम)
मैं वह चारा तलाश करता हूं

 
Sayer Masoom Ahmad Barkati

No comments:

Post a Comment

Column Right