मुक्तक
कोरोना से परीशा आदमी से डॉक्टर बोला
कहाँ बेकार महंगी तू दवाए इतनी खायेगा
किरासन तेल ले ले हाफ लीटर और घर जाकर
जला दे शाम से दीपक कोरोना भाग जायेगा
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ये सोच सोच के हैरान अक़्ल है मेरी
करेंगे कैसे बताओ चिराग से वो इलाज
ये एक चीनी से अमरीकी ने कहा इक दिन
ज़रूर रहता है उन में भी जाहिलों का समाज
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कहा पंडित ने मौलाना से इक दिन
हुआ है फ़ैल जंतर और मनतर
मिलेगी फीस मुंह मांगी, मुझे दें
कोरोना के लिए तावीज़ लिख कर
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पंडित हों, मौलवी हों, कि ओझा या डॉक्टर
क्या असलियत है उनकी ये पल भर में जान ली
हँसते हुए कोरोना ने इक रोज़ ये कहा
हम ने बड़े बड़ों कि यहाँ पोल खोल दी
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लगी थी भीड़ मौलाना के दर् पर
परिशां हाल इक बच्चे ने पूछा
कहेँगे जितना नज़राना मैं दूंगा
कोरोना के लिए तावीज़ है क्या
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वो पंडित हों कि मौलाना या ओझा
नहीं होगा असर मुझ पर किसी का
कोरोना ने कहा गुस्से में आकर
भरोसा क्या है इनकी ज़िन्दगी का
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चोंच गयावी
पटना बिहार
मोबाइल 8507854206
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