गर्भवती निकली राजकीय बाल संरक्षण गृह की 2 कोरोना संक्रमित किशोरियां
एक एचआईवी संक्रमित भी निकली जबकि हेपेटाइटिस सी का संक्रमण
*8 महीनें की गर्भवती हैं बिहार और झारखंड की ये किशोरियां*
राजकीय संरक्षण गृह सवालों के घेरे में, शासन तक हड़कंप*
लखनऊ। यूपी के कानपुर में राजकीय बाल संरक्षण गृह से कोरोना संक्रमित मिली 33 किशोरियों की कोविड19 जांच के दौरान मिली रिपोर्ट ने सरकार को हिला दिया है। मेडिकल जांच में दो किशोरियां गभर्वती निकली। बिहार और झारखंड की इन नाबालिग किशोरियों के गर्भ में 8 महीनें का बच्चा है। इतना ही नहीं जांच में एक संवासिनी एचआईवी संक्रमित भी पाई गई है जबकि दूसरी को हेपेटाइटिस सी का संक्रमण है।अब सवाल ये उठ रहा है कि आठ महीनें की गर्भवती की सूचना बाल संरक्षण गृह ने क्यों छिपायी थी ? अभी इन सवालों का जवाब भी नहीं मिला है कि
दोनों संवासिनी गृह कब आईं और कब से गर्भवती हैं ?
मिली जानकारी के मुताबिक कोरोना संक्रमित सभी लड़कियों को मंधना के रामा मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है। कहा जा रहा है कि दोनों गर्भवती युवतियों के पेट में 8 माह का बच्चा पल रहा है। ऐसे में इन दोनों लड़कियों को हैलट के जच्चा बच्चा अस्पताल में भर्ती कराया गया है। चौंकाने वाली बात यह है कि हॉस्पिटल में जांच के बाद जहां एक गर्भवती किशोरी एचआईवी संक्रमित पाई गई है तो वहीं, दूसरी में हेपेटाइटिस सी का संक्रमण मिला है। दोनों किशोरियों की उम्र 17 वर्ष है और बिहार व झारखंड की रहने वाली बताई जा रही हैं। बहरहाल उन्हें एचआईवी और हेपेटाइटिस सी का संक्रमण होने से हाई रिस्क बन गया है, जिससे उन्हें विशेष निगरानी में रखा गया है।
संक्रमित संवासिनियों के गर्भवती होने और उनमें दूसरा खतरनाक संक्रमण पाए जाने से स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप की स्थिति है। संवासिनियों का और ब्योरा नहीं मिल पा रहा है। वहीं इस घटना ने राजकीय बाल संरक्षण गृहों की हालत पर भी सवालिया निशान लगा दिया है। सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि इन किशोरियों को यहां कब लाया गया था ? अभी इस बारे में अधिकारी तथ्य सामने नहीं लाए हैं।
कहा जा रहा है कि अगर संरक्षण गृह में ये 8 माह पहले आयी हुयी निकली तो हंगामा बढ़ना तय है। कहा तो यह भी जा रहा है कि अगर ये बाद में भी आयी हैं तो संरक्षण गृह को इसका जवाब देना होगा कि 8 महीनें की गर्भवती किशोरी की जानकारी क्यों छिपाई गयी। इतना ही नहीं सवाल ये भी है कि इससे पहले गर्भवती किशोरियों का कोई भी मेडिकल टेस्ट क्यों नहीं कराया गया।
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