दलित क्यों नहीं आजाद हो पाए थे और कब तक आजाद नहीं होंगे?
जब मोहम्मद बिन कासिम ने राजा दाहिर को हराया तो कुछ लोग उसके उसके पास आए जिनके कपड़े बहुत फटे हुए थे और उनकी हालत बहुत ही दयनीय थी देखने में वह भिखारियों जैसे थे वह भारतीय दलित थे वह मोहम्मद बिन कासिम को देने के लिये कुछ अनाज तोहफा के रूप में लेकर आए और मोहम्मद बिन कासिम को ब्राह्मणों के अत्याचार और उनके साथ भेदभाव के बारे में बताया मोहम्मद बिन कासिम ने जब उनकी यह हालत देखी और सुनी तो उसे बहुत दुख हुआ उसने तमाम दलितों के साथ बैठकर खाना खाया और भारतीय परंपरा ऊंच-नीच भेदभाव को खत्म किया भारतीय इतिहास में यह पहली मिसाल थी जब दलितों के साथ किसी दूसरे वर्ग के लोगो ने खाना खाया था लेकिन शायद दलितों के भाग में मोहम्मद बिन कासिम की दयालुता नहीं लिखी थी ब्राह्मण राजा दाहिर की लड़कियों ने मोहम्मद बिन कासिम पर झूठा आरोप लगाया कि उसने उनकी इज्जत लूटी है जब यह खबर खलीफा को मिली तो खलीफा ने मोहम्मद बिन कासिम को तुरंत गिरफ्तार कर लाने का हुकुम दिया जब मोहम्मद बिन कासिम को सिंध से होते हुए ले जा रहे थे उस समय हिंदुस्तान की जनता आंसू बहा रही थी दलित रो रहे थे क्योंकि उनका एक हमदर्द गिरफ्तार होकर जा रहा था लेकिन वह कुछ ना कर पा रहे थे फिर भारत के दलित लोगों ने उसका मुजस्समा( मूर्ति) कराची में स्थापित की जो आज भी मौजूद है
मोहम्मद बिन कासिम को झूठी इज्जत लूटने के आरोप में मौत की सजा मिली बाद में जब राजा दाहिर की लड़कियों ने बताया कि यह सिर्फ उन्होंने अपने बाप का बदला लेने के लिए ऐसा कहा था तब खलीफा ने हुक्म दिया कि इन लड़कियों के बालों को घोड़े से बांधकर तब तक घसीटा जाए जब तक इनकी मौत ना हो जाए इस तरह दलितों के हमदर्द मोहम्मद बिन कासिम की मौत हो गई ।
कहने का आशय यह है कि भले ही दलितों के भाग का सूरज पूरी तरीके से उदय नहीं हो पाया लेकिन भारत में मुस्लिम शासन आने से उनकी स्थिति में कुछ सुधार जरूर होने लगा था जहां लोग पहले उनका छुआ खाना खाने तक तैयार नहीं थे मुस्लिम वर्ग उनके साथ बैठकर खाना खा रहा था अगर आज तक दलित वर्ग पिछड़े हुए हैं तो कुछ हद तक वह खुद भी जिम्मेदार हैं क्योंकि इन्हें सलाह अक्सर ब्राह्मणों की ही समझ में आती है जब तक यह किसी ब्राह्मण के घर का चक्कर नहीं लगा लेते इनको सुकून नहीं मिलता छोटे से लेकर बड़े कामों तक यह ब्राह्मणों से मशवरा लेते हैं यहां तक कि जब इन्हें मतदान भी करना होता है तो यह पूछ कर ही करते हैं जब तक यह ब्राह्मणों से सलाह लेते रहेंगे दलित पूरी तरीके से आजाद नहीं हो पाएंगे
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