*कैलाश मानसरोवर जो शिव जी का वास है वो चीन के कब्ज़े में है..*
आज़ादी के बाद चीन ने "कैलाश पर्वत व कैलाश मानसरोवर" और अरुणाचल प्रदेश के बड़े भूभाग पर जब कब्ज़ा कर लिया तो देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू जी UNO पहुंचे की चीन ने ज़बरदस्ती क़ब्ज़ा कर लिया है, हमारी ज़मीन हमें वापस दिलाई जाए।
इस पर चीन ने जवाब दिया कि हमने *भारत की ज़मीन पर कब्ज़ा नहीं किया है बल्कि अपना वो हिस्सा वापस लिया है जो हमसे भारत के एक शहंशाह ने 1680 में चीन से छीन कर ले गया था।*
*यह जवाब UNO में आज भी ऐतिहासिक दस्तावेज के रूप में मौजूद है।*
जानते हैं चीन ने किस शहंशाह का नाम लिया था ?
*"औरंगज़ेब" का...*
दरअसल चीन ने पहले भी इस हिस्से पर कब्ज़ा किया था, जिस पर औरंगज़ेब ने उस वक़्त चीन के चिंग राजवंश के राजा "शुंजी प्रथम" को ख़त लिख कर गुज़ारिश की थी कि कैलाश मानसरोवर हिंदुस्तान का हिस्सा है और हमारे हिन्दू भाईयों की आस्था का केन्द्र है, लिहाज़ा इसे छोड़ दें।
लेकिन जब डेढ़ महीने तक किंग "शुंजी प्रथम" की तरफ से कोई जवाब नहीं आया तो *औरंगजेब ने चीन पर चढ़ाई कर दी जिसमें औरंगजेब ने साथ लिया कुमाऊँ के राजा "बाज बहादुर चंद" का और सेना लेकर कुमाऊँ के रास्ते ही मात्र डेढ़ दिन में "कैलाश मानसरोवर" लड़ कर वापस छीन लिया...*
ये वही औरंगज़ेब है जिसे की कट्टर इस्लामिक बादशाह और "हिन्दूकुश" कहा जाता है, सिर्फ उसी ने हिम्मत दिखाई और चीन पर सर्जिकल स्ट्राइक कर दी थी..
इतिहास के इस हिस्से की प्रमाणिकता को चेक करना हो तो आज़ादी के वक़्त के UNO के हलफनामे देख सकते हैं जो आज भी संसद में भी सुरक्षित हैं।
और आप ये किताबें भी पड़ सकते हैं..
*हिस्ट्री ऑफ उत्तरांचल :- ओ सी हांडा*
तथा
*द ट्रेजेड़ी ऑफ तिब्बत :-- मन मोहन शर्मा*
आज सच्चाई जाने बिना लोग भेड़ चाल चलने को मजबूर हैं , टीवी पर बोला तो सच ही होगा , मुसलमान है ही गद्दार आदि आदि भ्रमिक बातें फैला दी गई , और अफसोस होता है आज बच्चे के किशोर मन में स्कूल टाइम से ही नफरत का जहर घोला जा रहा है ।
*अगर आप सच्चाई जानना चाहते हैं तो स्वयं इतिहास की सही पुस्तकें पढ़ें , इस्लाम को जानना चाहते हैं तो पवित्र क़ुरआन स्वयं पढ़ें , दूसरों की बात सुनकर बिश्वास करने वाले को सत्य कदापि नहीं मिल सकता ।*
*महेन्द्र पाल सिंह*
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