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Sunday, 14 June 2020

राजू बेच रहा था स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड के ऑफिस के बाहर केले फिर वो हुआ कि साहब हुये बेहोश

#स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड 
के ऑफिस के बाहर राजू केले बेच रहा था।

बिजली विभाग के एक बड़े  *अधिकारी* न पूछा : " केले कैसे दिए" ?

*राजू* :  केले किस लिए खरीद रहे हैं साहब ?

*अधिकारी* :-  मतलब ?? 

*राजू* :-  मतलब ये साहब कि,

*मंदिर* के प्रसाद के लिए ले रहे हैं तो 10 रुपए दर्जन। 
*वृद्धाश्रम* में देने हों तो 15 रुपए दर्जन। 

बच्चों के *टिफिन* में रखने हों तो 20 रुपए दर्जन। 

*घर* में खाने के लिए ले जा रहे हों तो, 25 रुपए दर्जन 

और अगर *पिकनिक* के लिए खरीद रहे हों तो 30 रुपए दर्जन।

*अधिकारी* : - ये क्या बेवकूफी है ? अरे भई, जब सारे केले एक जैसे ही हैं तो,भाव अलग अलग क्यों बता रहे हो ??

*राजू* : - ये तो पैसे वसूली का, आप ही का स्टाइल है साहब। 

1 से 100 रीडिंग का रेट अलग, 
100 से 200 का अलग, 
200 से 300 का अलग। 
अरे आपके बाप की बिजली है क्या ?

आप भी तो एक ही खंभे से बिजली देते हो। 

तो फिर घर के लिए अलग रेट, 
दूकान के लिए अलग रेट, 
कारखाने के लिए अलग रेट, 
फिर इंधन भार, विज आकार.....

और हाँ, एक बात और साहब, 
*मीटर का भाड़ा।*
मीटर क्या अमेरिका से आयात किया है ? 25 सालों से उसका भाड़ा भर रहा हूँ। आखिर उसकी कीमत है कितनी ?? आप ये तो बता दो मुझे एक बार।

      #जागो_ग्राहक_जागो
          🎺🎺🎺 

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